पानी में एक पत्थर मारो.....

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,,,,, *पानी में एक पत्थर मारो* ,,,,,
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*एक रात को चंदा प्यारा*
*कहने लगा अँधेरे से*
*मैंने उसकी बातें सुन ली*
*कान लगाकर धीरे से,,*
*बोला बंद भुजायें खोलो*
*ख़ुद अपनी तक़दीर सँवारो,,,*
*लहरों पर लहरे आयेंगी*
*पानी में एक पत्थर मारो,,,,,,,,*🌦
💧💧💧
*दुःख पर्दा है उसके पीछे*
*छुपा हुआ है सुख देखो,,,,,*
*रास्ता न मालूम हो तो तुम*
*तेज़ हवा का रुख़ देखो,,,,,,,*
*ख़ुद भी पार निकल जाओगे*
*डूब रहा जो उसे उबारो,,,,,,,,,*
*लहरों पर लहरे आयेंगी*
*पानी में एक पत्थर मारो,,,,,,,,,*🌦
💧💧💧💧💧
*उतना ही आराम करो*
*जितने से सदा आराम रहे,,,*
*कम से कम कुछ ऐसा कर दो*
*मरकर जिन्दा नाम रहे,,,*
*अपने संग में अपनों को भी*
*भव सागर से पार उतारो*
*लहरों पर लहरें आयेंगी*
*पानी में एक पत्थर मारो,,,,,,,,,*🌦
💧💧💧💧💧💧
*वीर करें विश्राम जगत में*
*ऐसा तो उपलक्ष्य नहीं,,,,,,*
*रास्ते भले बदल लो लेकिन*
*कभी बदलना लक्ष्य नहीं,,*
*जीत तुम्हारी निश्चित है तुम*
*दिल से भय को अभी निकालो,,*
*लहरों पर लहरे आयेंगी*
*पानी में एक पत्थर मारो,,,,,,,,,,,*🌦
💧💧💧💧💧💧💧
*समय के संग में अरे बावरे*
*मर न जाये अभिलाषा,,*
*चलो उठो ऐ वीर बदल दो*
*जीत हार की परिभाषा,,,,,,,,,,*
*पुरुषार्थ के मार्ग पर बढ़ो*
*कायरता को धिक्कारो*
*लहरों पर लहरे आयेंगी*
*पानी में पत्थर मारो,,,,,,,,,,*🌦
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                  *कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
            *छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय*
                   *9792016971*
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