मर्द की औलाद हो...

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,,,, *मर्द की औलाद हो* ,,,,,
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*ऐ जवानों नौजवानों अपनी शक्ति माप लो*
*ख़ून में है ज़ोश कितना अपने भीतर झाँक लो*
*थरथराहट दूर हो शब्दों में फिर ललकार हो*
*है समय यह क्रांति का,,,आज फ़िर हुंकार हो*
*हम नही झुकते,,नहीं रुकते दिखा दो आज फ़िर*
*मर्द की औलाद हो,,सबको बता आज फिर,,,,,,,,*
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*खो रही है पाँव के नीचे से शायद फिर जमीं*
*बाग़ बंजर हो रहा है खो रही हर दिन नमी*
*क्या भरोसा कब जला दें सूर्य को ये बिजलियाँ*
*क्या पता कब ख़ून कर दें फूल का ये तितलियाँ,,,,,,,,*
*तुम उठो,,सूरत बदल दो हर दिशा की आज फ़िर*
*मर्द की औलाद हो,,सबको बता दो आज फ़िर,,,*
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*पहले भी तुमने बचाया था सफ़ीना हिन्द का*
*तुमने ही चमकाया था फ़िर से नगीना हिन्द का*
*आज क्यों ख़ामोश हो,,क्यों मौन हो ऐ वीर तुम*
*अपने अधिकारों के ख़ातिर हाथ लो शमशीर तुम*
*इन दलालों की दलाली ख़त्म कर दो आज फिर,,*
*मर्द की औलाद हो,,सबको बता दो आज फ़िर,,*
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*उठ कमर कस ऐ जवानी,,बांध ले सिर पर कफ़न*
*कर्ज़ अपना माँगता है आज फिर तेरा वतन,,*
*वीर पुरुषों के चरणकमलों में जन्नत मान लो*
*पूर्ण परिवर्तन करेंगे,,,अपने दिल में ठान लो,,,,*
*दौड़कर इतिहास का पन्ना बदल दो आज फ़िर*
*मर्द की औलाद हो,,सबको बता दो आज फ़िर,,,,*
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                             *कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
                      

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