क्या ख़ूब निभायी है सनम आपने वफ़ा...
लौटा के गयी आप मेरे प्यार का तोहफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आप ने वफ़ा..
कैसे करूँ बयां मैं अपना दर्द आजकल,
दिखती नहीं है तू मेरी हमदर्द आजकल,
दिल में नहीं तूने मुझे दिमाग़ में रखा,
क्या खूब निभायी है सनम आप ने वफ़ा....
कहती थी मेरे प्यार का कुछ तोड़ नहीं है,
अब कह रही हो तेरा,मेरा जोड़ नहीं है,,
थामा भले दिल को मग़र थोड़ा है हर दफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आप ने वफ़ा.....
ये रूठने मनाने का कैसा फ़ितूर है,
किस बात का बोलो भला तुमको ग़ुरूर है,,
घाटे में हमें डाल के ख़ुद ले गयी नफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आपने वफ़ा.......
मुस्कान मेरी तेरी जान बनी थी,
खुशियां मेरी तेरी हर एक अरमान बनी थी,
अब हंस दिया मैंने तो ऐसे हो गयी खफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आपने वफ़ा...
लौटा के गयी आप मेरे प्यार का तोहफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आपने वफ़ा......
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
9792016971
क्या खूब निभायी है सनम आप ने वफ़ा..
कैसे करूँ बयां मैं अपना दर्द आजकल,
दिखती नहीं है तू मेरी हमदर्द आजकल,
दिल में नहीं तूने मुझे दिमाग़ में रखा,
क्या खूब निभायी है सनम आप ने वफ़ा....
कहती थी मेरे प्यार का कुछ तोड़ नहीं है,
अब कह रही हो तेरा,मेरा जोड़ नहीं है,,
थामा भले दिल को मग़र थोड़ा है हर दफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आप ने वफ़ा.....
ये रूठने मनाने का कैसा फ़ितूर है,
किस बात का बोलो भला तुमको ग़ुरूर है,,
घाटे में हमें डाल के ख़ुद ले गयी नफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आपने वफ़ा.......
मुस्कान मेरी तेरी जान बनी थी,
खुशियां मेरी तेरी हर एक अरमान बनी थी,
अब हंस दिया मैंने तो ऐसे हो गयी खफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आपने वफ़ा...
लौटा के गयी आप मेरे प्यार का तोहफ़ा,
क्या खूब निभायी है सनम आपने वफ़ा......
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
9792016971
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