हमको माँ का आँचल दे दो....
,,, *हमको माँ का आँचल दे दे* ,,,,,
छाया कब तक तपिश मिटाये,
कब तक बदरी नीर पिलाये,,
कब तक पँखा करें हवायें,
लोरी कब तक बिहंग सुनायें....
चैन नहीं इन सबमें हमको,
कोई बीता कल दे दे..
छाया, बदरी, हवा,,नहीं
हमको माँ का आँचल दे दे.......
वही पुरानी सोंधी रोटी,
सुबह-शाम कुछ खरी व खोटी,
थपकी,,प्यार,,दुलार,,नज़ाकत,
माँ की गोदी,,छोटी-छोटी,,
बिस्तर,तकिया,चद्दर क्या हैं,
ममता का मख़मल दे दे..
छाया,बदरी, हवा ,नहीं,,
हमको माँ का आँचल दे दे.....
बला, भगें वो जंतर-मंतर,
काला टीका लगे निरंतर,
अग़र लगे कुछ चोट,,हमें फिर..
बने वैद्य कुछ रहे न अंतर,
बाक़ी सब है गरल हमें,
कोई तो गंगाजल दे दे..
छाया,,बदरी,,हवा,,नहीं,,
हमको माँ का आँचल दे दे....
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
छाया कब तक तपिश मिटाये,
कब तक बदरी नीर पिलाये,,
कब तक पँखा करें हवायें,
लोरी कब तक बिहंग सुनायें....
चैन नहीं इन सबमें हमको,
कोई बीता कल दे दे..
छाया, बदरी, हवा,,नहीं
हमको माँ का आँचल दे दे.......
वही पुरानी सोंधी रोटी,
सुबह-शाम कुछ खरी व खोटी,
थपकी,,प्यार,,दुलार,,नज़ाकत,
माँ की गोदी,,छोटी-छोटी,,
बिस्तर,तकिया,चद्दर क्या हैं,
ममता का मख़मल दे दे..
छाया,बदरी, हवा ,नहीं,,
हमको माँ का आँचल दे दे.....
बला, भगें वो जंतर-मंतर,
काला टीका लगे निरंतर,
अग़र लगे कुछ चोट,,हमें फिर..
बने वैद्य कुछ रहे न अंतर,
बाक़ी सब है गरल हमें,
कोई तो गंगाजल दे दे..
छाया,,बदरी,,हवा,,नहीं,,
हमको माँ का आँचल दे दे....
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
बहुत ही बेहतरीन कविवर
ReplyDeleteहमेसा की तरह जानदार शानदार
ReplyDeleteam big fan of u bhiya...😍😍