पैरों के नीचे ज़मीन क्यों है.....?
जब देख लेते हो दूर की, आराम से,,
तो हाँथों में ये दूरबीन क्यों है........?
तू तो ख़ुद में ही ख़ुदा है फिर,,
आज ख़ुद ग़मगीन क्यों है.................?
हिम्मत है हाँथों से तोड़ो,,पर्वत को,
ये हांथों में मशीन क्यों है.........?
बहादुर हो तो पकड़ो सपोलों को,,लपककर,,
ये हाँथों में बीन क्यों है.......?
बड़ा ऊँचा उड़ने वालों,,आसमान में रहो न,
ये पैरों के नीचे ज़मीन क्यों है.......?
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
तो हाँथों में ये दूरबीन क्यों है........?
तू तो ख़ुद में ही ख़ुदा है फिर,,
आज ख़ुद ग़मगीन क्यों है.................?
हिम्मत है हाँथों से तोड़ो,,पर्वत को,
ये हांथों में मशीन क्यों है.........?
बहादुर हो तो पकड़ो सपोलों को,,लपककर,,
ये हाँथों में बीन क्यों है.......?
बड़ा ऊँचा उड़ने वालों,,आसमान में रहो न,
ये पैरों के नीचे ज़मीन क्यों है.......?
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
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