मांस क्यों नहीं खाना चाहिये...
*क्यों नहीं खाना चाहिये मांस......?* हमने पहले भी कह रखा है कि *यदि किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता लगाना है तो ज़्यादा कुछ जानने की ज़रूरत नहीं है सिर्फ़ आप उस व्यक्ति का "आचार" अर्थात रहन-सहन और "आहार" अर्थात "भोजन" पता कर लीजिये। यहाँ पर हम मुख्य रूप से "आहार" की बात करेंगे.. एक घटना हमें याद आती है जो मैं बताता हूँ आप सबको,एक बार किसी सज्जन ने हमसे बताया कि हर प्राणी के अंदर स्वाभाविक रूप से एक "जीवात्मा" होती है और यह जीवात्मा परम पिता परमेश्वर का *अंश* होती है इस हिसाब से दुनिया के किसी भी कोने में पैदा होने वाला जीव जन्म से देवत्व से परिपूर्ण होता है अर्थात उसका जो मूल लक्षण होता है वह *इंसानियत,प्रेम,और सद्व्यवहार* से भरा होता है परंतु चूँकि जीव परा प्रकृति है,परा प्रकृति का मतलब है ईश्वर द्वारा बनायी गयी वह प्रकृति जो सदैव अपने आपको विकास या पतन की ओर ले जाने को तत्पर रहे,अब जीव में यह गुण होता है अतः वह परा प्रकृति है एक बात और यहीं पर स्पष्ट कर दूँ की यहाँ पर हमने जीव शब्द का प्रयोग सिर्फ़ मानव जाति के लिये ही किया ह...