क्या फ़ायदा...

नाज-नख़रे दिखाने से क्या फ़ायदा..
अब मुझे आज़माने से क्या फ़ायदा...

दिल की दहलीज़ जब पार कर ही चुके,
फ़िर यूँ नज़रें चुराने से क्या फ़ायदा....

तुम जलाओ अहम अपने दिल का सनम,
दिलजलों को जलाने से क्या फ़ायदा......

तोड़ पाओ तो तोड़ो ज़हां की रसम,
ऐसे दिल तोड़ जाने से क्या फ़ायदा......

मुझ पे हँसना भी है तो हँसो ज़ोर से,
मुँह छुपा मुस्कुराने से क्या फ़ायदा......

आये हो गर तो तुम झूमकर के पियो,
बिन पिये लौट जाने से क्या फ़ायदा.....

चाँद अर्जुन की गोदी में अब आ उतर,
दूर ही जगमगाने से क्या फ़ायदा....
   

                सिद्धार्थ अर्जुन

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