है अपना हिंदुस्तान कहाँ.......?

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,,, *है अपना हिंदुस्तान कहाँ,,,?* ,,,
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*मंदिर में बजते शंखों ने*
*मस्ज़िद की तेज अजानों ने,,*
*यह बात राम ने पूँछी है,,*
*और पूँछी है रहमानों ने,,,,,,,*
*हिन्दू मुस्लिम तो दिखते हैं*
*पर दिखता है इंसान कहाँ,,,?*
*ऐ ठेकेदारों बतलाओ,,,,,*
*है अपना हिंदुस्तान कहाँ,,,,,,,,,,,,,?*
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*जैसा गंगा का जल पावन*
*वैसे ही ज़मज़म पावन है,,,,*
*जैसे मंदिर अध्यात्म भरा*
*वैसे मस्ज़िद मन भावन है,,,,,,*
*आडम्बर तो दिख जाता है*
*पर दिखता है भगवान कहाँ,,,,,?*
*ऐ ठेकेदारों बतलाओ,,*
*है अपना हिंदुस्तान कहाँ,,,,,,,,,,,,,?*
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*माँ की ममता जाया न करो*
*भाई के प्रेम को मत खोवो,,,*
*जिसमे विनाश फल लगता*
*ऐसा पौधा तुम मत बोओ,,,,,,,*
*इस घृणा द्वेष के शाये में*
*होता है कौन महान यहाँ,,,?*
*ऐ ठेकेदारों बतलाओ,,,,*
*है अपना हिंदुस्तान कहाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,?*
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*घर आँगन सब कुछ बाँट दिया*
*कम से कम दिल को मत बाटो*
*मानवता के इस पीपल को*
*भारत भूमि से मत काटो,,,,,,*
*अब्दुल कलाम की धरती ये*
*और हुए सन्त रसखान यहाँ,,,,,*
*ऐ ठेकेदारों बतलाओ,,*
*है अपना हिंदुस्तान कहाँ,,,,,,,,,,,,,,,,?*
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*आने वाली पीढ़ी के लिये*
*तुम कायम अमन करो प्यारे,,,*
*रग रग में दौड़े प्रेम यहाँ,,*
*हिंसा का दमन करो प्यारे,,,,*
*जाते जाते इतिहास लिखो*
*छोड़ो अपनी पहचान यहाँ,,,,,,*
*फिर प्रश्न कोई ये न पूँछे*
*है अपना हिंदुस्तान कहाँ,,,,,,,,,,,,,?*
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                *कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
         *छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय*
                *9792016971*

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