मौसम की तरह आनी व जानी है ज़िन्दगी...

अब क्या पता कि कैसी कहानी है ज़िन्दगी,
मौसम की तरह आनी व जानी है ज़िन्दगी....

ये पाप की तपिश है या है पुण्य का कलश,
कोई बता दे किसकी निशानी है जिंदगी.....?

न सुख रुके न दुःख,,भला है कैसी पहेली,
कुछ भी नहीं पता,,मगर पानी है ज़िन्दगी......

एहसास नहीं रूप कैसा होगा अगले पल,
सागर की लहर जैसी रवानी है ज़िन्दगी.....

ज़िंदा हैं मगर ज़िन्दगी को देख न सके
मालूम किसे लाल या धानी है ज़िन्दगी.....

तुम लाख छुपा लो इसे ये छुप न सकेगी
उन्मुक्त विहंगों सी जवानी है ज़िन्दगी......

"सिद्धार्थ" आ रही है मौत ढूंढ़ने इसको
हाँ,,मौत के राजा की ही रानी ज़िन्दगी........

                         सिद्धार्थ अर्जुन
                       9792016971

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