क्या लिखा है जिन्दगानी में..

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*कौन जाने क्या लिखा है,,जिन्दगानी में*
🤔🤔✍
*आसमा में उड़ रही चंचल पतंगों सेे*
*बात यह हमने सुनी जल की तरंगों से,,*
*सूर्य की किरणों में पलते सप्तरंगों से*
*ख़ुद सुना मैंने मेरी दिल की उमंगों से,,,*
*क्यों पड़ा है व्यर्थ की तू खींचातानी में?*
*कौन जाने क्या लिखा है,जिन्दगानी में,,,,,*
🤔🤔🤔🤔✍
*लहलहाते पात एक दिन गिर ही जायेंगे*
*पर नये पत्ते यक़ीनन फिर से आयेंगे*
*डरने वाले देखते रह जायेंगे सागर*
*तैरने वाले निकल कर पार जायेंगे,,,,,,,,,,,*
*शौर्य की शमसीर रख अपनी कमानी में*
*कौन जाने क्या लिखा है,,जिन्दगानी में,,,,,*
🤔🤔🤔🤔🤔✍
*मूढ़ता को त्याग पगले गूढ़ता को गह*
*बचना है तो हर मुसीबत वीरता से सह*
*गर्व की क्या बात है धारा के संग बहना*
*हो सके तो आज जलधारा से उल्टा बह,,*
*तुम नया अमृत्व डालो हर कहानी में,,*
*कौन जाने क्या लिखा है,,,जिन्दगानी में,,,,,,*
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*देखने से आसमां को,,मिल न जायेगा*
*बिन लगाये वृक्ष फल तो मिल न पायेगा,,*
*कर्म भी करना पड़ेगा,,,छोड़कर आसन*
*सोंच लेने से ही पर्वत हिल न जायेगा*
*मत गंवाओं तुम समय अपना रवानी में*ओ
*कौन जाने क्या लिखा है,,,जिन्दगानी में,,,,,,,,*
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*माँगती है दूध का अधिकार माँ तेरी*
*बाप का ,भाई,बहन का प्यार माँ तेरी*
*तेरे ही ख़ातिर तपस्या कर रही है वो*
*चाहती है सुख भरा संसार माँ तेरी,,,,,,,*
*सत्य कर हर स्वप्न तू अपनी जवानी में*
*कौन जाने क्या लिखा है,,,जिन्दगानी में,,,,,*
🤔🤔🤔🤔🤔🤔✍
*चल रहा है जो भी एकदिन रुक ही जायेगा*
*वक्त के आगे जमाना झुक ही जायेगा,,*
*तू है पौरुष का पिता,,तू कर्मध्वज है यदि*
*कर भरोसा पीढ़ियों तक याद आयेगा,,*
*तू नज़र आयेगा अपनी हर निशानी में,,,*
*कौन जाने क्या लिखा है,,,जिन्दगानी में,,,,,,,,,*
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                   *कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
             *छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय*
                      *9792016971*

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