आओ फ़िर ज़ोश में आया जाये...



*आओ फ़िर ज़ोश में आया जाये*
*किसी को फ़िर से यहाँ धूल चटाया जाये..*

*बड़े आनन्द से जो तापते हैं घर सबका*
*अब के उनके ही घर में आग लगाया जाये...*

*किसी के ख़ून से यह भूमि रंग चुकी है दोस्त*
*चलो उस ख़ून का कुछ कर्ज़ चुकाया जाये.....*

*नचा रहे हैं हमें,,जो समझ के कठपुतली*
*चलो मिलकर उन्हें इस बार नचाया जाये......*

*सुकून चैन छीन बैठे हैं जो सबका यहाँ*
*न नींद आये उन्हें ऐसे हिलाया जाये......*

*जो फेंककर गये हैं हम सभी पे ये काँटे*
*इन्ही काँटों पे उन्हें आओ चलाया जाये.....*

*मिला के दूध में पानी जो बेंचते हैं यहाँ*
*मिला के मिर्च उन्हें आओ पिलाया जाये.....*

*कि जल रही चिता की आग बुझ नहीं सकती*
*इसी चिता में इन सभी को जलाया जाये......*

                        *सिद्धार्थ अर्जुन*

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