राष्ट्रवाद की भाषा है.......
,,,, *राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,* ,,,
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*राष्ट्र पे जीना राष्ट्र पे मरना*
*जिसकी यह अभिलाषा है,,,*
*राष्ट्र के हित सर्वस्व लुटाना*
*जिसके मन की आशा है,,,,,*
*राष्ट्र की धारा में बहने को*
*जो जन पल पल प्यासा है,,,,*
*उस के कर्मो की ब्याख्या ही*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,*
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*उठा सके जो गिरे हुए को*
*वही राष्ट्र का साधक है,,,,,,*
*स्वार्थ साधना,,मतलब यारी*
*राष्ट्र प्रगति में बाधक है,,,,,,,*
*कदम से कदम मिलाकर चलने की*
*जिसकी अभिलाषा है,,,,,,,,,,*
*उसके कर्मो की ब्याख्या ही*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,,,,*
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*वेद संग वेदना पढ़े जो*
*चेतन मन चेतना पढ़े जो,,,,*
*मुरझाये चेहरों की ख़ुशी को*
*नये नये आयाम गढ़े जो,,,*
*परमारथ ही जिसके ख़ातिर*
*जीवन की परिभाषा है,,,*
*उसके कर्मों की ब्याख्या ही*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,*
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*रग रग में ईमान बसाना*
*सबको पोषित करते जाना*
*अंदर बाहर कहीं भी हो पर*
*देश भक्ति का ध्वज़ फहराना,,,,*
*देश के हित कुछ कर जाने की*
*जिसकी विकट पिपासा है*
*उसके कर्मों की ब्याख्या ही,,*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,,*
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
*छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय*
*9792016971*
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*राष्ट्र पे जीना राष्ट्र पे मरना*
*जिसकी यह अभिलाषा है,,,*
*राष्ट्र के हित सर्वस्व लुटाना*
*जिसके मन की आशा है,,,,,*
*राष्ट्र की धारा में बहने को*
*जो जन पल पल प्यासा है,,,,*
*उस के कर्मो की ब्याख्या ही*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,*
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*उठा सके जो गिरे हुए को*
*वही राष्ट्र का साधक है,,,,,,*
*स्वार्थ साधना,,मतलब यारी*
*राष्ट्र प्रगति में बाधक है,,,,,,,*
*कदम से कदम मिलाकर चलने की*
*जिसकी अभिलाषा है,,,,,,,,,,*
*उसके कर्मो की ब्याख्या ही*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,,,,*
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*वेद संग वेदना पढ़े जो*
*चेतन मन चेतना पढ़े जो,,,,*
*मुरझाये चेहरों की ख़ुशी को*
*नये नये आयाम गढ़े जो,,,*
*परमारथ ही जिसके ख़ातिर*
*जीवन की परिभाषा है,,,*
*उसके कर्मों की ब्याख्या ही*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,*
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
*रग रग में ईमान बसाना*
*सबको पोषित करते जाना*
*अंदर बाहर कहीं भी हो पर*
*देश भक्ति का ध्वज़ फहराना,,,,*
*देश के हित कुछ कर जाने की*
*जिसकी विकट पिपासा है*
*उसके कर्मों की ब्याख्या ही,,*
*राष्ट्रवाद की भाषा है,,,,,,,,,,,,,,*
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*कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
*छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय*
*9792016971*
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