चैन ढूंढो यहीं पर मिलेगा.....
ऐसे बेचैन क्यों घूमते हो?
चैन ढूंढों यहीं पर मिलेगा.....
क्या हुआ फ़ूल मुरझा गया गर
कल नया फ़ूल फिर से खिलेगा.....
रास्ता रोके पर्वत खड़ा है,,
चढ़ के देखो,ये पर्वत हिलेगा.......
मंदिरों,मस्जिदों पर न लड़िये,
तेरे अंदर विधाता मिलेगा...........
है मोहब्बत जो दिल में तुम्हारे,
झुक के दुश्मन गले से लगेगा.........
आज "सिद्धार्थ" दिल खोल बोलो,
सबसे हँसके हमेशा मिलेगा...........
सिद्धार्थ अर्जुन
9792016971
चैन ढूंढों यहीं पर मिलेगा.....
क्या हुआ फ़ूल मुरझा गया गर
कल नया फ़ूल फिर से खिलेगा.....
रास्ता रोके पर्वत खड़ा है,,
चढ़ के देखो,ये पर्वत हिलेगा.......
मंदिरों,मस्जिदों पर न लड़िये,
तेरे अंदर विधाता मिलेगा...........
है मोहब्बत जो दिल में तुम्हारे,
झुक के दुश्मन गले से लगेगा.........
आज "सिद्धार्थ" दिल खोल बोलो,
सबसे हँसके हमेशा मिलेगा...........
सिद्धार्थ अर्जुन
9792016971
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