कहो दिललगी में क्या होता है ऐसा..?

मैं खो बैठा ख़ुद को,,ये है प्यार कैसा
कहो,, दिललगी में क्या होता है ऐसा???

न दिखती डगर न पता अब सफ़र है
नज़ारों में दिखता फ़क़त हमसफ़र है,
लुटा चैन मेरा,,लुटेरा है कैसा?
कहो,,दिललगी में क्या होता है ऐसा??

निगाँहों में ख़्वाबों में,ख्यालों में तुम हो
जवाबों में तुम हो सवालों में तुम हो..
नहीं नींद टूटी ,सवेरा है कैसा?
कहो,,दिललगी में क्या होता है ऐसा???

टपकती हो बुँदे या धधकता हो शोला,
दिखी जब भी तू तो ये दिल मेरा डोला,,
ये दिल के शिविर का बसेरा है कैसा?
कहो,,दिललगी में क्या होता है ऐसा????

मैं खो बैठा ख़ुद को,ये है प्यार कैसा?
कहो,, दिललगी में क्या होता है ऐसा???

             कवि सिद्धार्थ अर्जुन
               9792016971

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