तेरा विनाश कर डालेगा....

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,,, *तेरा विनाश कर डालेगा* ,,,
🍷🍷🍷
*ख़ुद अपनी खुशियाँ मिटा रहे,,,*
*ख़ुद वैभव अपना घटा रहे,,,,*
*अपनी आयु के वृहत वृक्ष को*
*अपने हाथों कटा रहे,,,*
*यह नशा तुम्हारी छिन्न भिन्न*
*हर एक आश कर डालेगा,,,,*
*यह नशा नाश का स्वामी है*
*तेरा विनाश कर डालेगा,,,,,,,,,,,,*
🍷🍷🍷🍷🍷
*पीना है तो गम को पीलो*
*पानी पीलो,, शरबत पीलो*
*पीकर शराब गिर पड़ते हो*
*गुड़ खाकर दौड़ोगे मीलों,,,,,,*
*यह रोग तुम्हारी आत्मा का*
*मैला लिबास कर डालेगा,,,,,,,*
*यह नशा नाश का स्वामी है*
*तेरा विनाश कर डालेगा,,,,,,,,,,,,,*
🍷🍷🍷🍷🍷🍷
*सड़ी मिठाई को छोड़ो*
*गन्ने से फिर नाता जोड़ो,,*
*अमरूद सेब केला खाओ*
*मादक जग से नाता तोड़ो,,,*
*मादकपन असफल उन्नति का*
*हर एक प्रयास कर डालेगा,*
*यह नशा नाश का स्वामी है*
*तेरा विनाश कर डालेगा,,,,,,,,,,,,*
🍷🍷🍷🍷🍷🍷
*सिगरेट बीड़ी पीने वालों*
*बच्चों को क्या सिखलाओगे,,,*
*यमराज के आने से पहले*
*तुम खांश खांश मर जाओगे,,,*
*यौवन के पीपल को पल में*
*यह जली घास कर डालेगा,,,*
*यह नशा नाश का स्वामी है*
*तेरा विनाश कर डालेगा,,,,,,,,,,,*
🍷🍷🍷🍷🍷🍷🍷
*हो बुद्धिमान तुम ज्ञानवान*
*दुर्गति में जाकर मत पड़ना,,*
*जिस ओर हों लपटें सूरज की*
*उस ओर कभी भी मत उड़ना,,,,*
*यह तुमको एक चलती फिरती*
*चैतन्य लाश कर डालेगा,*
*यह नशा नाश का स्वामी है,,*
*तेरा विनाश कर डालेगा,,,,,,,,,,,,,,*
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           *कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
   

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