दुनिया के लिए वरदान है...
🍁🍁🍁
,,,, *दुनिया के लिये वरदान है* ,,,,,
🌲🍁
*है जलधि चरणों को धोता और मुकुट हिमराज है*
*घण्टियों,शंखों की मधुरिम गूँजती आवाज़ है,,,*
*ज्ञान की विज्ञान की सद्भावना की खान है,,,,,,*
*अपना भारत देश दुनिया के लिए वरदान है,,,,,,,,,*
🍁🌲
*छोड़ कर के स्वर्ग आये,,क्यों यहाँ पर देवता*
*क्या छुपा है इस ज़मीं में यार हमको क्या पता*
*इसकी मिट्टी पर हमें अभिमान है अभिमान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,*
🍁🌲
*नर है नारायण यहाँ पत्थर में भगवान है*
*है यहाँ श्रद्धा व भक्ति,प्रेम का सम्मान है*
*एक दूजे पर फ़िदा हर एक यहाँ इंसान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,*
🍁🌲
*है अमन का मुल्क़ यह हिंसा का इसमें काम का*
*झूमजाते हैं भजन पर,, काम क्या है ज़ाम का*
*है यहाँ गंगा की धारा और गीता ज्ञान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,,,*
🍁🌲
*जन्मभूमि,कर्मभूमि,,है नमन भारत तुझे*
*कर दिया अर्पित ये तन मन और धन भारत तुझे*
*हर जनम पाऊँ यहीं पर बस यही अरमान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,,*
🍁🌲
*कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
*बाराबंकी,,,9792016971*
,,,, *दुनिया के लिये वरदान है* ,,,,,
🌲🍁
*है जलधि चरणों को धोता और मुकुट हिमराज है*
*घण्टियों,शंखों की मधुरिम गूँजती आवाज़ है,,,*
*ज्ञान की विज्ञान की सद्भावना की खान है,,,,,,*
*अपना भारत देश दुनिया के लिए वरदान है,,,,,,,,,*
🍁🌲
*छोड़ कर के स्वर्ग आये,,क्यों यहाँ पर देवता*
*क्या छुपा है इस ज़मीं में यार हमको क्या पता*
*इसकी मिट्टी पर हमें अभिमान है अभिमान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,*
🍁🌲
*नर है नारायण यहाँ पत्थर में भगवान है*
*है यहाँ श्रद्धा व भक्ति,प्रेम का सम्मान है*
*एक दूजे पर फ़िदा हर एक यहाँ इंसान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,*
🍁🌲
*है अमन का मुल्क़ यह हिंसा का इसमें काम का*
*झूमजाते हैं भजन पर,, काम क्या है ज़ाम का*
*है यहाँ गंगा की धारा और गीता ज्ञान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,,,*
🍁🌲
*जन्मभूमि,कर्मभूमि,,है नमन भारत तुझे*
*कर दिया अर्पित ये तन मन और धन भारत तुझे*
*हर जनम पाऊँ यहीं पर बस यही अरमान है*
*अपना भारत देश दुनिया के लिये वरदान है,,,,,,,,,*
🍁🌲
*कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
*बाराबंकी,,,9792016971*
Comments
Post a Comment