इतिहास गवाही दे देगा......

🌲🌲🌲🌲🌲🌲
,,,, *इतिहास गवाही दे देगा* ,,,,,,,
🌲
*हांथों से थपकी दे देकर*
*कच्ची मिट्टी के घड़े गढ़ो,,,,,*
*कदमों से ताल दो धरती को*
*आगे की ओर बिन रुके बढ़ो,,,*
*ख़ुद पथ तुझको ओ राहगीर*
*एक दिन हमराही दे देगा,,,,,*
*होगा हिसाब जब कर्मों का*
*इतिहास गवाही दे देगा,,,,,,,,,,,,,*👌
🌲🌲
*कुछ न कुछ अंकित कर डालो*
*कोई पन्ना खाली न रहे,,,*
*कुछ ऐसे बिखराओ ख़ुशबू*
*बिन हँसे तेरा माली न रहे,,,,*
*कुछ शब्द तेरे इस जीवन को*
*'शब्दों का सिपाही' दे देगा,,,,,,,*
*होगा हिसाब जब कर्मों का*
*इतिहास गवाही दे देगा,,,,,,,,,,,,,,,,*👌
🌲🌲🌲
*तू रहे न रहे दुनिया में*
*लेकिन तेरी पहचान रहे,,,,,*
*आने वाली हर पीढ़ी को*
*तुझ पर सदैव अभिमान रहे,,,,,,*
*लिखने का तू साहस तो कर*
*कोई क़लम व स्याही दे देगा,,*
*होगा हिसाब जब कर्मों का*
*इतिहास गवाही दे देगा,,,,,,,,,,,,,,,,,*👌
🌲🌲🌲🌲
*सागर में डुबकी लगा तुझे*
*मोती लेकर आना होगा,,,,,,*
*तुझमे भी है कुछ खाश बात*
*दुनिया को बतलाना होगा*
*तू अगर रुका तो कालचक्र*
*एक और तबाही दे देगा,,,,,,,*
*होगा हिसाब जब कर्मों का*
*इतिहास गवाही दे देगा,,,,,,,,,,,,,,,,*👌
🌲🌲🌲🌲🌲🌲
*अब उठो समय ललकार रहा*
*उसको जवाब देकर आओ*
*सिद्धार्थ उठो अपने सपनों को*
*अभी जीतकर ले आओ*
*तू चलता रह मंजिल के निशां*
*ख़ुद पथ वो राही दे देगा,,,,,,,,,,*
*होगा हिसाब जब कर्मों का*
*इतिहास गवाही दे देगा,,,,,,,,,,,,,,,,*👌
🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲
                *कवि सिद्धार्थ अर्जुन*
         *छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय*
                *9792016971*
🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲🌲

Comments

Popular posts from this blog

महल बनाओ पानी पर....

सुनो ग़रीब हूँ.......

ख़ूबसूरती का एहसास..और दिलजलों की प्यास