ख़ूबसूरती का एहसास..और दिलजलों की प्यास
यूनिवर्सिटी में आकर मुझे अपनी खूबसूरती का एहसास हुआ। जाने कितने लड़को ने रातों में नींद न आने का इल्जाम मेरे सिर फोड़ दिया, जाने कितनों के दिल में मैं कब उतर गई इस बात का एहसास मुझे भी न हुआ। आज तक हमारे शिक्षक इस धोखे में जी रहे है कि उनके अच्छा पढ़ाने की वजह से क्लासेस में भीड़ बढ़ रही है, परन्तु उन्हें कौन बताये की उसका श्रेय मुझे मिलना चाहिए। क्योंकि अकबर और राणा प्रताप पढ़ने वाले छात्रों को अब अशोक और पाषाणकाल का जमाना भाने लगा है। यही नही बल्कि सीनियर्स छात्रों की पसंदीदा क्लास मेरी ही क्लास हो चुकी है। वो दुहराने की बात करते हुए क्लास अटेंड करते है, पर पूरा ध्यान मेरी ही ओर रहता है। अब हद हो चुकी है, कई शोध छात्रों का शोध का विषय मैं ही बन चुकी हूँ । कभी कधार शिक्षक जी का ध्यान भटकाने में भी खूब आनंद आता है। मेरी तरफ इतनी लाइन्स आती है कि समझ नही आता है की किसे लाइन मारी जाए? खैर मेरा भाव सातवें आसमान पर है। किसी सेलेब्रेटी जैसा एहसास होता है।
पैदल चलने से लेकर बुलेटसवार छात्रों का तांता मुझे मेरे रूम तक छोड़ने तक आता है। अब मुझे खुद पर ध्यान भी देना पड़ता है जैसे कि रोज मेकअप करना और खासतौर से ओठों पर लिपस्टिक और आँखों पर काजल लाना, क्योंकि कल की क्लास में मेरे एक आशिक़ ने तेरी आँखों का वो काजल गाना गाकर काजल लगाने पर मजबूर कर दिया। खैर वो अलग बात है कि मेरे और मजनुओं ने उसे पीट-पीटकर चूरन बना दिया।खैर मेरी आँखें इतनी बड़ी नही है फिर भी कई आशिक़ कवियों ने मेरी आँखों को हिरनी की आँखे कह दिया और उर्दू के ग़ालिबो ने नशीला जाम बता डाला।मेरे ओठ ठंड में फट कर कड़े हो गए फिर भी एक शायर ने उसे नाज़ुक लब बता दिया।खैर अब ऐसे हालात नही रहे है एक दिन मैंने पढ़ने को बैग खोला तो 27 सड़े गुलाब निकले जो मरे चूहे जैसे गंधा रहे थे,लग रहा था महीने भर पुराने है।फिर मैंने सोचा कि आजकल में क्यो एक भी गुलाब भी न रखा किसी ने?गौर करने पर पता चला कि मैंने खुद का एटीट्यूड इतना बढ़ा डाला कि लड़कों ने मुझे पटाने की सारी उम्मीद छोड़ दी।अब सभी जगजीत सिंह के गाने सुनते हुए कोई ग़ालिब कोई कुमार विश्वास तो कोई जॉन एलिया बना टहल रहा है।सभी की मैं सनम बेवफा हो गयी हूँ।एटीट्यूड के जोश में सिंगल रह गयी।अब पछतावा हो रहा है, काश!किसी से सेट हो जाती,खैर उम्मीद पर दुनिया टिकी है।सोच रही हूँ किसी ठीक ठाक क्लासमेट को लाइन मारकर पटा लूँगी, पर सीनियर्स को नही पटाऊंगी क्योकि वो आउटडेटिड मॉल है, और अगर वो एडवांस होते तो जरूर फर्स्ट ईयर में किसी को सेट कर लेते।
- सर्वाधिकार सुरक्षित, स्वरचित, मौलिक(©©®®)
मोहम्मद उमर( इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
पैदल चलने से लेकर बुलेटसवार छात्रों का तांता मुझे मेरे रूम तक छोड़ने तक आता है। अब मुझे खुद पर ध्यान भी देना पड़ता है जैसे कि रोज मेकअप करना और खासतौर से ओठों पर लिपस्टिक और आँखों पर काजल लाना, क्योंकि कल की क्लास में मेरे एक आशिक़ ने तेरी आँखों का वो काजल गाना गाकर काजल लगाने पर मजबूर कर दिया। खैर वो अलग बात है कि मेरे और मजनुओं ने उसे पीट-पीटकर चूरन बना दिया।खैर मेरी आँखें इतनी बड़ी नही है फिर भी कई आशिक़ कवियों ने मेरी आँखों को हिरनी की आँखे कह दिया और उर्दू के ग़ालिबो ने नशीला जाम बता डाला।मेरे ओठ ठंड में फट कर कड़े हो गए फिर भी एक शायर ने उसे नाज़ुक लब बता दिया।खैर अब ऐसे हालात नही रहे है एक दिन मैंने पढ़ने को बैग खोला तो 27 सड़े गुलाब निकले जो मरे चूहे जैसे गंधा रहे थे,लग रहा था महीने भर पुराने है।फिर मैंने सोचा कि आजकल में क्यो एक भी गुलाब भी न रखा किसी ने?गौर करने पर पता चला कि मैंने खुद का एटीट्यूड इतना बढ़ा डाला कि लड़कों ने मुझे पटाने की सारी उम्मीद छोड़ दी।अब सभी जगजीत सिंह के गाने सुनते हुए कोई ग़ालिब कोई कुमार विश्वास तो कोई जॉन एलिया बना टहल रहा है।सभी की मैं सनम बेवफा हो गयी हूँ।एटीट्यूड के जोश में सिंगल रह गयी।अब पछतावा हो रहा है, काश!किसी से सेट हो जाती,खैर उम्मीद पर दुनिया टिकी है।सोच रही हूँ किसी ठीक ठाक क्लासमेट को लाइन मारकर पटा लूँगी, पर सीनियर्स को नही पटाऊंगी क्योकि वो आउटडेटिड मॉल है, और अगर वो एडवांस होते तो जरूर फर्स्ट ईयर में किसी को सेट कर लेते।
- सर्वाधिकार सुरक्षित, स्वरचित, मौलिक(©©®®)
मोहम्मद उमर( इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
बहुत अच्छा चित्रण है उमर,, खूब शुभकामनायें..
ReplyDeleteSo nice bhut achi hai khani
ReplyDeleteबहुत सुंदर भैया ❤
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