क्या तुमने मालूम किया......?
क्या तुमने मालूम किया....?
तेज धूप में कौन जला है,
मीलों पैदल कौन चला है,
किसकी अंतड़ियाँ सिकुड़ी हैं,
जल बिन सूखा कौन गला है.....?
क्या तुमने मालूम किया...?
किसने घर,गहने, बर्तन,
गिरवी रख हर पेंच दिया..
किसने हल को ख़ुद ही खींचा,
बैलों को किसने बेंच दिया.......?
क्या तुमने मालूम किया...?
किसने माँगी पुनः अँजूरी,
किसकी ख़्वाईश रही अधूरी,
कितने हाथ थे मेंहदी वाले,
जो करने पहुंचे मज़दूरी.......
क्या तुमने मालूम किया......?
कितनी बहुवें जली आग में,
कितनों ने सेंदुर पोंछा..
कितनी अबलाओं का पल्लू,
वहसी ने सरपट नोंचा.........?
क्या तुमने मालूम किया...?
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
तेज धूप में कौन जला है,
मीलों पैदल कौन चला है,
किसकी अंतड़ियाँ सिकुड़ी हैं,
जल बिन सूखा कौन गला है.....?
क्या तुमने मालूम किया...?
किसने घर,गहने, बर्तन,
गिरवी रख हर पेंच दिया..
किसने हल को ख़ुद ही खींचा,
बैलों को किसने बेंच दिया.......?
क्या तुमने मालूम किया...?
किसने माँगी पुनः अँजूरी,
किसकी ख़्वाईश रही अधूरी,
कितने हाथ थे मेंहदी वाले,
जो करने पहुंचे मज़दूरी.......
क्या तुमने मालूम किया......?
कितनी बहुवें जली आग में,
कितनों ने सेंदुर पोंछा..
कितनी अबलाओं का पल्लू,
वहसी ने सरपट नोंचा.........?
क्या तुमने मालूम किया...?
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
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