बाद में आया था,,पहले ही चला गया...
था,एक दिलजला,,दिल को जला गया,
बाद में आया था पहले ही चला गया......
हँसता था,गाता था,,अपनों की ख़ातिर,
चलते-चलते अपनों को ही रुला गया....
ज़हर बह गया सब,,आँखों के रस्ते,
मरूँ भी तो कैसे,,वो तो अमृत पिला गया,
सागर शांत,हवा ठहरी,दीपक बुझने को हैं,
अरे था कोई जो दिल दहला गया.....
वादा तो था,,साथ-साथ का सिद्धार्थ,,
क्या खूब वादा भुला गया....
था,कोई दिलजला,,दिल को जला गया
बाद में आया था,पहले ही चला गया...
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
बाद में आया था पहले ही चला गया......
हँसता था,गाता था,,अपनों की ख़ातिर,
चलते-चलते अपनों को ही रुला गया....
ज़हर बह गया सब,,आँखों के रस्ते,
मरूँ भी तो कैसे,,वो तो अमृत पिला गया,
सागर शांत,हवा ठहरी,दीपक बुझने को हैं,
अरे था कोई जो दिल दहला गया.....
वादा तो था,,साथ-साथ का सिद्धार्थ,,
क्या खूब वादा भुला गया....
था,कोई दिलजला,,दिल को जला गया
बाद में आया था,पहले ही चला गया...
कवि सिद्धार्थ अर्जुन
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