पहले तू...

पहले तू..........................
साथ चलें हम साथ रुकें हम
साथ में नांचे गायें..............
आओ कलियों जरा सा फिर से,
हम बसंत ले आयें.............
ज़न्नत की चौखट को चलकर,
हम लेते हैं छू,
पहले तू.........................
कायम हो चहुँओर उजाला,
मिलकर जतन करेंगे..........
शिक्षा,संस्कृति,कर्म पुष्प से,
पुलकित वतन करेंगे...........
शब्दों में माधुर्य रहे,,
अभिमान की न हो बू..........
पहले तू...........................
पूजा,त्याग,तपस्या,व्रत सब,
जीव जगत हित हों..............
मृदुल,धवल,नवनीत सदृश,
कोमल,निर्मल चित हों..........
सुरसरि सम शीतल पावन बन,
बहे सुहानी लू....................
पहले तू...........................
नदियों के दो तीर जोड़ दें,
सूरज को शय दें.................
कंकड़ की कँकरीली ध्वनि को,
सरगम की लय दें...............
भाव से सब के भाव मिलें,
फिर होगी गुफ़्तगू................
पहले तू............................

                           सिद्धार्थ अर्जुन

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