हवाओं जरा उस गली से गुज़रना......

हवाओं जरा उस गली से गुज़रना,
जहाँ पर,हमारी सहेली खड़ी है....

हिफ़ाज़त में ठहरे रहो,, चाँद तारों,
अँधेरा है, पगली,,अकेले खड़ी है.....

सज़ा लें बदन को जरा खुशबुओं से,
वहीं चल ,जहाँ पर, चमेली खड़ी है......

ऐ लफ़्ज़ों के मोती,,वहाँ तक पहुँच जा,
जहाँ ख़्वाब की वो पहेली खड़ी है.......

ज़रा थमके सिद्धार्थ,, न उठ जाये घुँघटा,,
दुल्हनिया नयी और नवेली खड़ी है.........


  1.                          सिद्धार्थ अर्जुन

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