पापा की याद में...
,,,,,पापा की याद में कुछ पंक्तियाँ,,
हो गये रुख़सत सभी,,पर तुम नहीं जाना,
रात की तन्हाइयों में तुम नज़र आना.....
ओढ़ लूँ चादर के जैसे ,रात ठंडी है,,,
धूप में बनकर के छाया तुम चले आना......
पाँव हैं जब-जब जले कांधे बिठाया है,,,
हौंसले टूटे अग़र तो तुम चले आना..........
बून्द सागर से अलग है,, कौन जाने ग़म,
ग़म के दरिया को सुखाने तुम चले आना....
वक़्त की परछाइयाँ हमको डराती हैं,,
ऐ पिता!बनकर के शाया तुम चले आना...
लोग चलकर ताकते हैं,,पूर्वगामी पथ,
चलने से पहले सही,रस्ता बता जाना....
हो गये रुख़सत सभी पर तुम नही जाना
रात की तन्हाइयों में तुम नज़र आना......
सिद्धार्थ अर्जुन
हो गये रुख़सत सभी,,पर तुम नहीं जाना,
रात की तन्हाइयों में तुम नज़र आना.....
ओढ़ लूँ चादर के जैसे ,रात ठंडी है,,,
धूप में बनकर के छाया तुम चले आना......
पाँव हैं जब-जब जले कांधे बिठाया है,,,
हौंसले टूटे अग़र तो तुम चले आना..........
बून्द सागर से अलग है,, कौन जाने ग़म,
ग़म के दरिया को सुखाने तुम चले आना....
वक़्त की परछाइयाँ हमको डराती हैं,,
ऐ पिता!बनकर के शाया तुम चले आना...
लोग चलकर ताकते हैं,,पूर्वगामी पथ,
चलने से पहले सही,रस्ता बता जाना....
हो गये रुख़सत सभी पर तुम नही जाना
रात की तन्हाइयों में तुम नज़र आना......
सिद्धार्थ अर्जुन
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